अपने खरपतवार को पहचानें !

ऐक्रेक्ने रेसिमोसा

ब्रैकिएरिया एरूसिफॉर्मिस

ब्रैकिएरिया रेप्टन्स

ब्रैकिएरिया रामोसा

डैक्टिलोक्टीनियम एजिप्टिकम

डिजिटेरिया सैंग्विनालिस

डाइनेब्रा अरेबिका

इकाईनोक्लोआ कोलोना

इकाईनोक्लोआ क्रुस गैली

एलियूसीन इंडिका

इराग्रॉस्टिस टेनेला

लेप्टोक्लोआ चाइनेंसिस

रॉटबीलिया कोचिंचाइनेंसिस

सेटेरिया वायराइडिस

एकालिफा इंडिका

एकिरान्थेस एस्पेरा

ऐम्पेलामस ऐल्बिडस

ऑल्टर्नेन्थेरा सेसिलिस

ऑल्टर्नैन्थेरा फाइलोक्सेरॉइडिस

ऐमरैन्थस वायराइडिस

ऐमरैन्थस स्पाइनोसस

आर्जेमोने मेक्सिकाना

बोअरहेविया इरेक्टा

कैसिया टोरा

कैथरैन्थस पुसिलस

सेलिसिया आर्जेन्टी

क्लियोमी गाइनैंड्रा

क्लियोमेसी विस्कोसा

कोमेलिना बेंगालेंसिस

कोमेलिना कम्युनिस

कोमेलिना डिफ़्यूज़ा

कोरकोरस ऑलिटोरियस

कोरकोरस ऐस्ट्युअन्स

कोरकोरस ऐक्युटैंग्युलस

सायनोटिस ऐक्सिलरीज़

कनैबिस सटाइवा

कोरोनोपस डिडायमस

चीनोपोडियम ऐल्बम

डटूरा मेटेल

डाइजेरा आर्वेंसिस

यूफोर्बिया जेनिक्युलेटा

यूफोर्बिया हाइपरिसीफोलिया

नैफेलियम परपरियम

इपोमिया एक्वेटिका
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ब्रैकिएरिया एरूसिफॉर्मिस
विवरणः ब्रैकिएरिया एरूसिफॉर्मिस अफ्रीका, अमेरिका, एशिया, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप के कुछ भागों के ऊष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों की कृषि उत्पादकता को नुकसान पहुंचाने वाली एक हानिकारक खरपतवार है। यह एक वार्षिक घास है, जिसे इसकी लाल-बैंगनी पत्तियों और पत्तियों के आवरण के कारण आसानी से पहचाना जा सकता है। स्थानीय नाम - हांची हरक हुल्लू (कन्नड), डोमाकालू गद्यी (तेलुगू), पाला पुल (तमिल), शिम्पी (मराठी), कालियू (गुजराती), नादिन (पंजाबी), पारा घास (बंगाली), क्रेब घास/पारा घास (हिंदी) -
ब्रैकिएरिया रेप्टन्स
विवरणः ब्रैकिएरिया रेप्टन्स एशिया, अफ्रीका, दक्षिणी यूरोप, अमेरिका, भारत और विभिन्न द्वीपों के एक छोटी वार्षिक वनस्पति ऊष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उगने वाली एक छोटी वार्षिक वनस्पति है। यह सदाबहार या वार्षिक घास होती है, अक्सर इसकी कई शाखाएँ होती हैं, जो ऊपर की ओर चपटी और घुमावदार और गाँठों पर जड़ों में विस्तृत होती हैं। यह खरपतवार अफ्रीकी मूल से विकसित हुई है और यह मध्य-पूर्व, भारतीय और दक्षिण-पूर्वी उपमहाद्वीपों, चीन, फिलिपीन्स, इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया और प्रशांत महासागर के द्वीपों के ऊष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पहुंच चुकी है। स्थानीय नाम - पोरे हुल्लू (कन्नड़), नंदुकाल पुल (तमिल), नादिन (पंजाबी), वाघनखी (मराठी), कालियू (गुजराती), क्रेब घास/परा घाद (हिंदी), पारा घास (बंगाली), एदुरूआकुला गद्यी (तेलुगू) -
ब्रैकिएरिया रामोसा
विवरण : ब्रैकिएरिया रामोसा बड़े समूहों में विकसित होती है। इन्हें ऊंचे क्षेत्रों के चावल और विविध कृषि-पर्यावरणीय स्थानों के कुछ बाजरों के साथ उगते हुए देखा जा सकता है। यह चपटी, गाँठों के साथ अरोमिल या नर्म धारियों वाली होती है। स्थानीय नाम - बेन्ने अक्की हुल्लू (कन्नड़), अंडा कोरा (तेलुगू), नादिन (पंजाबी), नंदुकाल पुल (तमिल), वाघनखी (मराठी), कालियू (गुजराती), क्रेब घास/पारा घास (हिंदी), चेचूर (बंगाली) -
डैक्टिलोक्टीनियम एजिप्टिकम
विवरणः डैक्टिलोक्टीनियम एजिप्टिकम अफ्रीका के पोएसी परिवार का एक सदस्य है, लेकिन पूरे विश्व में मिलने लगा है। यह पौधा मुख्यतः नम जगहों पर भारी मिट्टी में उगता है। यह लंबे से मध्यम ठोस, फैलने वाली वार्षिक वनस्पति, जिसके घुमावदार तने होते हैं, जो निचली गाँठों पर मुड़ती हैं और ज़मीन से जुड़ती हैं। स्थानीय नाम : कोनाना तले हुल्लू (कन्नड़), नक्षत्र गद्यी / गणुका गद्यी (तेलुगू), काकाकल पुल (तमिल), हरकीन (मराठी), मकड़ा (पंजाबी), मकड़ा / सवाई (हिंदी), चोकड़ियू (गुजराती), मकोर जेल (बंगाली) -
डिजिटेरिया सैंग्विनालिस
विवरणः डिजिटेरिया सैंग्विनालिस श्रेणी की ज्य़ादा परिचित प्रजातियों में से एक है, जिसे दुनिया भर में आम खर-पतवार के रूप में जाना जाता है। इसका इस्तेमाल जानवरों के चारे के रूप में किया जाता है और इसके बीज खाद्य होते हैं और उनका इस्तेमाल जर्मनी, और ख़ाास तौर पर पोलैंड में अनाज के रूप में किया जाता है। इसे पोलिश बाजरे का नाम मिला है। स्थानीय नाम : होम्बल हुल्लू (कन्नड), अरिसी पुल (तमिल), टोकरी (बंगाली), वाघनखी (मराठी), बर्श घास / चिनयारी (हिंदी), नादिन (पंजाबी), आरोतारो (गुजराती), छिपरा गद्यी (तेलुगू) -
डाइनेब्रा अरेबिका
विवरणः डाइनेब्रा अरेबिका एक मीटर ऊंची नाल वाली ढीली कलगीदार वार्षिक घास है, जो सेनेगल और नाइजीरिया के गीले और सूखे प्रदेशों में पायी जाती है और ऊष्णकटिबंधीय अफ्रीका तथा पूर्व में मिस्त्र और इराक़ से भारत तक फैल रही है। यह घास सभी प्रदेशों के कृषि क्षेत्रों की एक आम खर-पतवार है। स्थानीय नाम : नारी बालडा (कन्नड़), कोनका नाका / गुन्टा नाका गद्यी (तेलुगू), इंजी पुल (तमिल), लोण्या (मराठी), खरायू (हिंदी), नादिन (पंजाबी), खरायू (गुजराती), जाल गेठे (बंगाली) -
इकाईनोक्लोआ कोलोना
विवरणः इकाईनोक्लोआ कोलोना एक वार्षिक घास है। इसे 60 से भी ज्य़ादा देशों में गर्मियों की कई फसलों और सब्ज़ियों के लिये दुनिया की सबसे ख़ातरनाक घास के रूप में जाना जाता है। वेस्ट इंजीज़ में, सबसे पहले इसे क्यूबा में प्रकाशित किया गया था। यह एक प्रकार की जंगली घास है, जो ऊष्णकटिबंधीय एशिया के मूल से विकसित हुई है। स्थानीय नाम - कादू हराका (कन्नड़), ओथागद्यी / डोंगा वरी (तेलुगू), सामो (गुजराती), कुदुरैवाली (तमिल), पखड (मराठी), सामक / सावन (हिंदी), स्वांकी (पंजाबी), पहाड़ी शाम/ गेते शामा (बंगाली) -
इकाईनोक्लोआ क्रुस गैली
विवरणः इकाईनोक्लोआ क्रुस गैली ऊष्णकटिबंधीय एशिया से विकसित हुई है, जिसे पहले दूब घास के एक प्रकार के रूप में वर्गीकृत किया गया था। अपनी बेहतर जैविक संरचना और पर्यावरणीय अनुकूलन के कारण यह दुनिया की सबसे ज्य़ादा अप्रिय खर-पतवारों में से एक है। यह कई देशों में फैली हुई है और कई फसल प्रणालियों को प्रभावित करती है। स्थानीय नाम : सिम्पागाना हुल्लू (कन्नड़), पेड्डा विंदु (तेलुगू), गवत (मराठी), नेलमेरत्ती (तमिल), सामक (हिंदी), सामो (गुजराती), स्वांक (पंजाबी), सवा/स्वांक (हिंदी), देशी शामा (बंगाली) -
एलियूसीन इंडिका
विवरणः एलियूसीन इंडिका, भारतीय गूस ग्रास, यार्ड-ग्रास, गूस ग्रास, वायरग्रास या क्रोफुट ग्रास पोएसी परिवार में घास की एक प्रजाति है। यह एक छोटी वार्षिक घास है, जो विश्व के ग़र्म प्रदेशों में लगभग 50 डिग्री अक्षांश तक फैली हुई है। कुछ क्षेत्रों में यह घुसपैठिया प्र्रजाति है। स्थानीय नाम : हक्की कलीना हुल्लू (कन्नड़), थिप्पा रागी (तेलुगू, तमिल), रान्नाछनी (मराठी), चोखालियू (गुजराती), कोडो (हिंदी), बिन्ना छला/छपरा घास (बंगाली) -
इराग्रॉस्टिस टेनेला
विवरणः इराग्रॉस्टिस टेनेला एक छोटी सघन कलगीदार वार्षिक घास है, जो कई आकारों में पायी जाती है, और अक्सर 50 सेमी से ज्य़ादा ऊंची नहीं होती। यह कोमल कलगीदार वार्षिक घास सेनेगल से पश्चिम कैमेरून और पूरे ऊष्णकटिबंधीय अफ्रीका और ऊष्णकटिबंधीय एशिया की उजाड़ जगहों, सड़क के किनारों और खेती के ज़मीन पर पायी जाती है। स्थानीय नाम - चित्रा गरिका गद्यी (तेलुगू), चिमन चारा (मराठी), कबूतर दाना, चिड़िया दाना (हिंदी), भूमशी (गुजराती), सादा फुल्का (बंगाली), कबूतर दाना (पंजाबी) -
लेप्टोक्लोआ चाइनेंसिस
विवरणः लेप्टोक्लोआ चाइनेंसिस चावल की एक सामान्य खर-पतवार है। यह ऑस्ट्रेलिया में ज्य़ादा फैली हुई नहीं है, लेकिन यह न्यू साउथ वेल्स, क्वीन्सलैंड और भारत में पायी जाती है। इस वन्य खर-पतवार की मौजूदग़ी संभवतः दक्षिण-पूर्व एशिया, श्री लंका, भारत, चीन, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका जैसे कुछ उपोष्णकटिबंधीय देशों से आये बीजों से आकस्मिक संपर्क के कारण विकसित हुई है। यह जलीय और अर्धजलीय वातावरण की एक मज़बूत कलगीदार घास है और इसे घुसपैठ के लिये जाना जाता है। स्थानीय नाम - पुचिकापुलाला गद्यी (तेलुगू), फूल झाड़ू (हिंदी, पंजाबी), चोर कंठा (बंगाली), सिलाईपुल (तमिल) -
रॉटबीलिया कोचिंचाइनेंसिस
विवरणः रॉटबीलिया कोचिंचाइनेंसिस एक गैऱ-स्थानीय, ग़र्म मौसम की वार्षिक घास है, जिसकी पहचान 1920 में मयामी, फ़्लोरिडा से हुई थी। यह एक सामूहिक अप्रिय खर-पतवार है। यह बेहद तेज़ी से प्रस्फुटित होने वाली घास है, जो क्यारियों, चारागाहों और सड़क के किनारों पर बेहद प्रतिस्पर्धी हो सकती है। यह घास अमेरिका, अफ का, एशिया और ओशेनिया के 30 से भी ज्य़ादा ग़र्म-मौसम के देशों में मौजूद है। यह भारी बनावट की नम, पारगम्य मिटि्टयों में पनपती है। स्थानीय नाम - मुल्लू सज्जे (कन्नड़), कोंडा पुनुख़ू (तेलुगू), सुनाइपुल (तमिल), बारू (हिंदी), फॉग घास (बंगाली) -
सेटेरिया वायराइडिस
विवरणः सेटेरिया वायराइडिस यूरेशिया के मूल से आती है, लेकिन ज्य़ादातर महाद्वीपों में लाई गयी प्रजाति के रूप में मॉजूद है। यह एक सख़त घास है, जो कई प्रकार की शहरी उपजाऊ और उजाड़ जगहों पर पाई जाती है, जिसमें खाली ज़मीन, साइडवॉक्स, रेलरोड्स, लॉन और खेतों के किनारे शामिल हैं। यह फॉक्सटेल बाजरा की फसल का जंगली पुराना स्वरूप है। स्थानीय नाम - हनाजी (कन्नड़), चिगिरिंटा गद्यी (तेलुगू), थिनाई (तमिल), चिकटा (मराठी), खूटा घास (पंजाबी), कुटारा घास (गुजराती), काँटे वाली घास / चिपकने वाला खुट्टा (हिंदी), कहॉन (बंगाली) -
एकालिफा इंडिका
विवरणः एकालिफा इंडिका एक वानस्पतिक वार्षिक है, जिसमें कैटकिन जैसे पुष्पगुच्छ और छोटे फूलों के चारों ओर कप जैसे आवरण होते हैं। इसे मुख्यतः इसलिये जाना जाता है, क्योंकि इसकी जड़ पालतू बिल्लियों को आकर्षित करती है और इसके कई औषधीय उपयोग होते हैं। यह पूरे ऊष्णकटिबंधीय प्रदेश में विकसित है। स्थानीय नाम - कुप्पी गिडा (कन्नड़), कुपिचेट्टू / मूरिपिंडी आकू (तेलुगू), कुपाइमेनी (तमिल), कुप्पी (मराठी), फुलकिया (गुजराती), फुलकिया (हिंदी), मुक्ता झुरी/स्वात बसंता (बंगाली) -
एकिरान्थेस एस्पेरा
विवरणः ऐकिरैन्थेस एस्पेरा ऐमरेन्थेसी परिवार के पौधों की एक प्रजाति है। यह पूरे ऊष्णकटिबंधीय विश्व में फैली हुई है। इसे लाई गयी प्रजाति और सामान्य खर-पतवार के रूप में कई जगहों पर विकसित होते देखा जा सकता है। यह कई प्रशांत महासागरीय पर्यावरणों समेत कई क्षेत्रों में एक घुसपैठिया प्रजाति है। स्थानीय नाम - उत्तरानी (कन्नड़), नाई उरूवी (तमिल), अघाडा (मराठी), लतजीरा (हिंदी), अंधेडो (गुजराती), अपंग (बंगाली), उत्तरानी (तेलुगू), चिरचिता (पंजाबी) -
ऐम्पेलामस ऐल्बिडस
विवरणः ऐम्पेलामस ऐल्बिडस एक लता वाली सदाबहार वनस्पति है, जो पूर्वी और केंद्रीय यू.एस. राज्यों, ओन्टारियो और भारत में पायी जाती है। यह रानी तितलियों और मिल्कवीड टसॉक पतंगों के लार्वा का आहार है। यह छूने पर आँखों में जलन पैदा कर सकता है और निगल लिये जाने पर आपकी हृदय गति को रोक सकता है। यह मुख्यतः पशुओं के लिये घातक है। स्थानीय नाम - सम्बारा गद्ये (कन्नड), तेलाकुच (बंगाली) -
ऑल्टर्नेन्थेरा सेसिलिस
विवरणः ऑल्टर्नेन्थेरा सेसिलिस को सेसाइल जॉय-वीड और ड्वॉर्फ कॉपरलीफ़ जैसे कई सामान्य नामों से जाना जाता है। इसका इस्तेमाल मुख्यतः श्री लंका और कुछ एशियाई देशों में सब्ज़ी के रूप में किया जाता है। यह पौधा प्राचीन विश्व के सभी ऊष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है। इसे दक्षिण युनाइटेड स्टेट्स में पाया गया है और मध्य एवं दक्षिण अमेरिका में इसकी उत्पत्ति का स्रोत अज्ञात है। स्थानीय नाम - होना गोने सोपू (कन्नड़), पोनागंटी अकू (तेलुगू), मुल पोननगनी (तमिल), रेशिमकाटा (मराठी), गुडाई साग (हिंदी), पानी वाली बूटी (पंजाबी), फुलुयू (गुजराती), मलोंचा शाक (बंगाली) -
ऑल्टर्नैन्थेरा फाइलोक्सेरॉइडिस
विवरणः ऑल्टर्नैन्थेरा फाइलोक्सेरॉइडिस दक्षिण अमेरिका के ग़र्म क्षेत्रों की मूल प्रजाति है, जिनमें अर्जेंटिना, ब्राज़ील और युरूग्वाय शामिल हैं। इसका भौगोलिक विस्तार पहले सिर्फ दक्षिण अमेरिका के पराना नदी के क्षेत्र तक सीमित था, लेकिन अब यह युनाइटेड स्टेट्स, न्यू ज़ीलैंड, चीन, भारत और कई अन्य देशों समेत 30 से भी ज्य़ादा देशों में फैल चुका है। स्थानीय नाम - मिरजा मुल्लू (कन्नड़), मुल पोत्रनगनी (तमिल), गुडाई साग (हिंदी), पानी वाली बूटी (पंजाबी), खाखी/फुलुय (गुजराती), मलांचा शाक (बंगाली) -
ऐमरैन्थस वायराइडिस
विवरणः ऐमरैन्थस वायराइडिस एक वार्षिक वनस्पति है, जिसमें सीधा हरा तना जड़ से उभर कर आता है। पौधे में कुछ शाखाओं और छोटे हरे फूलों के साथ ऊपरी सिरे पर बालियाँ होती हैं। इसे कुछ देशों में सब्ज़ी के रूप में खाया जाता है। माना जाता है कि इसमें विषाणुनाशक और कैंसररोधक गुण और ऐंटीनोसिसेप्टिव प्रभाव होते हैं। स्थानीय नाम - केरे सोपू (कन्नड़), छिलकाठोठाकुरा (तेलुगू), जंगली चौलाई (हिंदी), कुपाई कीरइ (तमिल), माथ/तांदुलजा (मराठी), जंगली चौलाई (पंजाबी), तांदलजो (गुजराती), काँटा नोटे (बंगाली) -
ऐमरैन्थस स्पाइनोसस
विवरणः ऐमरैन्थस स्पाइनोसस को आम तौर पर स्पाइनी ऐमरैन्थ, स्पाइनी पिगवीड, प्रिकली ऐमरैन्थ या थॉर्नी ऐमरैन्थ कहा जाता है, जो ऊष्णकटिबंधीय अमेरिका का मूल पौधा है, लेकिन ज्य़ादातर महाद्वीपों पर उभरी हुई प्रजातियों और कई बार अप्रिय खर-पतवार के रूप में मौजूद है। स्थानीय नाम - राजागिरी सोपू (कन्नड़), एरामु गोरांटा (तेलुगू), मुल कीरइ (तमिल), कोटेमाथ (मराठी), जंगली चौलाई (हिंदी), जंगली चौलाई (पंजाबी), तांदलजो (गुजराती), बोनोटे शाक (बंगाली) -
आर्जेमोने मेक्सिकाना
विवरणः आर्जेमोने मेक्सिकाना एक बेहद सख़त जनक पौधा है, यह सूखे और ख़राब मिट्टी के प्रति सहनशील है, कई बार नयी सड़कों या किनारों को सिर्फ इसी पौधे से ढँका हुआ पाया जाता है। इसमें चमकदार पीले रंग का दूध निकलता है। यह चरने वाले जानवरों के लिये विषेला होता है, लेकिन स्थानीय नाम - धतूरा गिडा (कन्नड़), ब्रह्मदांडी (तेलुगू), कुरूक्कु (तमिल), पिवला धोतरा (मराठी), सत्यानाशी (पंजाबी), जटा फोल (बंगाली), कटेली/सत्यानाशी (हिंदी), दारूडी/सत्यानाशी (गुजराती) -
बोअरहेविया इरेक्टा
विवरणः बोअरहेविया इरेक्टा युनाइटेड स्टेट्स, मेक्सिको, सेन्ट्रल अमेरिका और पश्चिमी दक्षिण अमेरिका के मूल से है, लेकिन अब यह सभी ऊष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में फैल चुकी है। अफ्रीकामें इसका विस्तार पश्चिम अफ्रीका, पूर्व में सोमालिया से दक्षिण अफ्रीका तक है। एशिया में यह भारत, जावा, मलेशिया और चीन में पाया जाता है। स्थानीय नाम - मुकुरट्टई (तमिल), पांढरी पुनर्नावा (मराठी), श्वेता (हिंदी), पहाड़ी पुनर्नाबा (बंगाली) -
कैसिया टोरा
विवरणः कैसिया टोरा एक घास-रूपी वार्षिक जड़ी-बूटी है। यह पौधा 30-90 सेमी ऊंचा हो सकता है और इसमें एकांतर पंख जैसी पत्तियाँ होती हैं और अक्सर पत्तियों की आमने-सामने तीन जोड़ियाँ होती हैं, जो गोल सिरे के साथ प्रतिअंडाकार होती हैं। पत्तियाँ लंबी होती हैं, पौधे के छोटे होने पर तनों की पत्तियों से विशिष्ट गंध आती है। उपयोग कर चुके हैं। स्थानीय नाम - नयी शेंगा (कन्नड़), पेडा कासिंदा (तेलुगू), टेगराई (तमिल), तरोटा (मराठी), जंगली दाल (हिंदी), दाल वाली बूटी (पंजाबी), कुनवादियो (गुजराती), चकुंदा (बंगाली) -
कैथरैन्थस पुसिलस
विवरणः कैथरैन्थस पुसिलस एक छोटी घोंघे जैसी, सीधी खड़ी रहने वाली वार्षिक वनस्पति है, जो भारतीय मूल से है। इसके तने से कई चौकोन शाखाएँ निकलती हैं। पत्तियाँ आमने-सामने, भाले के आकार में होती हैं, जिनके किनारे खुरदरे होते हैं। पत्तियों का निचला हिस्सा पतली डंडी से जुड़ा होता है। पूरे पौधे में दुधिया रस होता है। पत्तियों के ऊपरी झुरमुट में छोटे सफेद, घोंघे जैसे फूल अकेले या जोड़ोंमें दिखाई देते हैं। स्थानीय नाम - अग्रि-शिखा (तेलुगू), संगखफूली/मिलागाई पूडू (तमिल), संकाफी (मराठी), सदाफूली (हिंदी), नयनतारा (बंगाली) -
सेलिसिया आर्जेन्टी
विवरणः सेलोसिया आर्जेन्टी एक सीधी अरोमिल वार्षिक वनस्पति है, जिसमें सीधी या चाकू जैसी पत्तियाँ होती हैं। सिरे पर सामान्यतः सफ़ेद या गुलाबी रंग के फूल लगते हैं। ये पौधे ऊष्णकटिबंधीय मूल से होने के कारण, ये पूरी धूप में अच्छी तरह बढ़ते हैं और इन्हें अच्छी तरह पानी निकाले गये क्षेत्र में रखा जा सकता है। पुष्पगुच्छ 8 सप्ताह तक रह सकते हैं और मरे हुए फूलों को हटा कर इन्हें और बढ़ाया जा सकता है। स्थानीय नाम - कुक्का (कन्नड़), कोडिगुट्टुआकू / गुनुगू (तेलुगू), सफ़ेद मुर्ग (हिंदी), पन्नइ कीरइ (तमिल), कुरूडू / कोंबडा (मराठी), लंबाडू (गुजराती), मोरोग झूटी (बंगाली) -
क्लियोमी गाइनैंड्रा
विवरणः क्लियोमी गाइनैंड्रा क्लियोमी की एक प्रजाति है, जिसका इस्तेमाल सब्ज़ी के रूप में किया जाता है। यह अफ्रीका की एक वार्षिक जंगली फूल की प्रजाति है, लेकिन अब दुनिया के कई ऊष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय हिस्सों में फैल चुकी है। यह एक सीधा, शाखाओं में बँटा पौधा होता है। इसकी छिटपुट पत्तियाँ 3-5 अंडाकार पत्रकों से बनी होती हैं। फूल सफ़ेद होते हैं। स्थानीय नाम - तिलोनी (कन्नड़), वोमिन्टा/थेला वामिता / वेलाकुरा (तेलुगू), नैवेलइ (तमिल), पांढरी तिलवन (मराठी), हुर हुर (हिंदी), तिलवनी / तिलमनी (गुजराती), श्वेत हुड़हुड़े (बंगाली) -
क्लियोमेसी विस्कोसा
विवरणः क्लियोमेसी विस्कोसा सामान्यतः बरसात के मौसम में पाया जाता है। इसकी पिसी हुई पत्तियों को राजमा के बीज को घुन से बचाने वाला उपचार पाया गया है। इसकी पत्तियों को घावों और छालों पर बाहरी दवा के रूप में लगाया जाता है। इसके बीज कृमिनाशक और वातहर पाये जाते हैं। इसके फूल पीले रंग के होते हैं। स्थानीय नाम - नयी बाला (कन्नड़), नाइकादुगू (तमिल), पिवला तिलवन (मराठी), हुर हुर (हिंदी), तिलवनी/तिलमनी (गुजराती), बोन शॉरशे (बंगाली) -
कोमेलिना बेंगालेंसिस
विवरणः कोमेलिना बेंगालेंसिस मूल रूप में ऊष्णकटिबंधीय एशिया और अफ का की एक सदाबहार वनस्पति है। यह नवोष्णकटिबंधीय प्रदेशों, हवाई, वेस्ट इंडीज़ और उत्तरी अमेरिका के दोनों ही तटों समेत अपने मूल क्षेत्र से बाहर काफी फैल चुका है। उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में इसके पुष्पण की अवधि वसंत से सर्दियों तक रहती है, और विषुअत रेखा के करीब यह पूरे साल बनी रहती है। इसका संबंध अक्सर ख़राब मिट्टी से पाया जाता है। स्थानीय नाम - जिगाली/हित्तागनी (कन्नड़), वेत्रडेविकुरा / यत्राद्री (तेलुगू), कनुआ (पंजाबी), कनंगकोजा़इ (तमिल), केना (मराठी), बोकांडा (गुजराती), बोखाना/कनकौआ (हिंदी) केलो घाश (बंगाली) -
कोमेलिना कम्युनिस
विवरणः कोमेलिना कम्युनिस डेफ़्लावर परिवार का एक घास रूपी पौधा है। इसे इसका नाम इसलिये मिला है, क्योंकि इसके फूल सिर्फ एक दिन रहते हैं। यह पूर्वी एशिया के ज्य़ादातर हिस्सों में और दक्षिण-पूर्व एशिया में पाया जाता है। चीन में, इस पौधे को याज़िकाओ के रूप में जाना जाता है। स्थानीय नाम - जिगाली/हित्तागनी (कन्नड़), केना (मराठी), कनुआ (पंजाबी), बोखाना/कनकौआ (हिंदी), -
कोमेलिना डिफ़्यूज़ा
विवरणः कोमेलिना डिफ़्यूज़ा में वसंत से सर्दियों तक फूल लगते हैं, और यह ख़राब स्थितियों, नम जगहों और जंगलों में ज्य़ादा पाया जाता है। चीन में इस पौधे का इस्तेमाल बुखारनाशक और मूत्रवर्धक औषधि के रूप में किया जाता है। पेंट्स के लिये इसके फूल से नीली डाइ भी निकाली जाती है। कम से कम एक प्रकाशन में इसे न्यू गिनी में खाद्य पौधे के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। स्थानीय नाम - हित्तागनी (कन्नड़), केना (मराठी), बोकांडा (गुजराती), बोखानी/कनकौआ (हिंदी), -
कोरकोरस ऑलिटोरियस
विवरणः यह बात स्पष्ट रूप से ज्ञात नहीं है कि कोरकोरस ऑलिटोरियस का मूल स्त्रोत अफ्रीका है या एशिया। कुछ संस्थाओं का मानना है कि यह कुछ अन्य प्रजातियों के साथ भारत-बर्मा क्षेत्र या भारत से विकसित हुआ है। यह जहाँ से भी विकसित हुआ है, दोनों ही महाद्वीपों में लंबे समय तक इसकी खेती की गयी है और ऊष्णकटिबंधीय अफ्रीका के हर देश में जंगली वनस्पति या फसल के रूप में बढ़ रहा है। स्थानीय नाम - काड छुंछली (कन्नड़), पेरूम पुनाकू (तमिल, तेलुगू), मोठी चुंच (मराठी), जंगली जूट (हिंदी), चुंच / राजगरी (गुजराती), भुंगी पात (बंगाली), जंगली सन (पंजाबी) -
कोरकोरस ऐस्ट्युअन्स
विवरणः कोरकोरस ऐस्ट्युअन्स उजाड़ ज़मीन पर समुद्री सतह से लेकर 2000 मीटर की ऊंचाई तक बढ़ने वाली एक सामान्य वार्षिक वनस्पति है। यह एक छोटी वनस्पति है, जिसके सीधे, छिटपुट शाखाओं वाले तने होते हैं। अंडाकार, नुकीली, हरी पत्तियों पर दाँतेदार किनारे होते हैं। पीले फूल 1-3 के झुंड में उगते हैं, इसकी डालियाँ बेहद छोटी होती है, बेहद छोटी पत्तियाँ आमने-सामने होती हैं। स्थानीय नाम - डुंडू बट्टी (कन्नड़), झुनुमू (तेलुगू), कट्टुट्टुटी (तमिल), चिकटा (मराठी), जंगली जूट (हिंदी), जंगली सन (पंजाबी), चुंच/राजगरी (गुजराती), भुंगी पात/काल चीरा (बंगाली) -
कोरकोरस ऐक्युटैंग्युलस
विवरणः कोरकोरस ऐक्युटैंग्युलस एक वार्षिक वनस्पति है, जिसके तने रोयेंदार होते हैं, ख़ाास तौर पर एक तरफ़ से। पत्तियाँ अंडाकार से चौड़ी अंडाकार होती हैं, किनारे दाँतेदार होते हैं, जिनमें से कुछ के निचले हिस्से में कड़े रोयें होते हैं जो नीचे से गोल होते हैं, ये नुकीले या कुछ हद तक नुकीले होते हैं और इनके प्रजनन अंग मुख्यतः नसों और बीच की नस में बिखरे होते हैं। स्थानीय नाम - चुंचली सोपू (कन्नड़), पेराती (तमिल, तेलुगू), कडू चुंच (मराठी), जंगली जूट (हिंदी),चुंच / राजगरी (गुजराती), नालटा पात (बंगाली), जंगली सन / जंगली जूट (पंजाबी) -
सायनोटिस ऐक्सिलरीज़
विवरणः सायनोटिस ऐक्सिलरीज़ कोमेलिनेसी परिवार के सदाबहार पौधों की एक प्रजाति है। यह भारतीय उपमहाद्वीप, दक्षिण चीन, दक्षिण पूर्व एशिया और उत्तरी ऑस्ट्रेलिया की मूल वनस्पति है। यह बरसाती जंगलों, लकड़ी के वनों और लकड़ी की घास वाले क्षेत्रों में बढ़ती है। भारत में इसका इस्तेमाल औषधीय पौधे के रूप में किया जाता है और सूअर के खाने के रूप में भी इसका उपयोग होता है। स्थानीय नाम - इगाली (कन्नड़), नीरपुल (तमिल), विंचका (मराठी), दिवालिया (हिंदी), नारियेली भाजी (गुजराती), झोरादन/उरीदान (बंगाली) -
कनैबिस सटाइवा
विवरणः कनैबिस सटाइवा एक वार्षिक घास रूपी फूलों वाला पौधा है, जो पूर्वी एशिया के मूल से विकसित हुआ है, लेकिन बड़े पैमाने पर खेती होने के कारण अब सभी जगह पाया जाता है। इसकी खेती प्राचीन काल से ही औद्योगिक फाइबर, बीज के तेल, खाद्य, मनोरंजन, धार्मिक और आध्यात्मिक मनःस्थिति और औषधि के लिये किया जाता है। इस्तेमाल के आधार पर पौधे के हर हिस्से की कटाई अलग तरीके से की जाती है। स्थानीय नाम - गांजा/भांग (हिंदी, पंजाबी, बंगाली), भांगी/गांजा (कन्नड़), भांग (मराठी, गुजराती), अलातम/अनंता मूली (तमिल), भंगियाकू/गांजा चेटू (तेलुगू) -
कोरोनोपस डिडायमस
विवरणः कोरोनोपस डिडायमस सामान्यतः कम फैलने वाले वार्षिक घास रूपी पौधे हैं, जिन्हें कई लंबे तनों, गहरी परलिकाओं वाली पत्तियों और छोटे सफेद फूलों से पहचाना जा सकता है। इनमें तेज़ गंध होती है और इन्हें पीसने पर बगीचे के चंसुर जैसी गंध आती है। इसका मूल क्षेत्र भूमध्यसागर हो सकता है, अन्य क्षेत्रों में भी इस काफी विस्तृत खर-पतवार की प्रजातियाँ पायी जाती हैं। स्थानीय नाम - भनिया बूटी (पंजाबी) जंगली हाला/नपीतपपड़ा (हिंदी), गब्बू कोतंबरी (कन्नड़), गाजोर पत्ता/बकोस (बंगाली), विश्वमुंगली (तेलुगू) -
चीनोपोडियम ऐल्बम
विवरणः चीनोपोडियम ऐल्बम तेज़ी से बढ़ने वाली तृणी वार्षिक है, जिसे उत्तर भारत में बड़े पैमाने पर उगाया और खाया जाता है और इसे बथुआ नामक खाद्य फसल के रूप में जानते हैं। बड़े पैमाने पर खेती के कारण इसके मूल प्रदेश की जानकारी नहीं है, लेकिन इसमें यूरोप के अधिकांश हिस्से का समावेश है, जहाँ लिनियस ने 1753 में इस प्रजाति का वर्णन किया था। अफ का, ऑस्ट्रेलेज़िया, उत्तर अमेरिका, ओशेनिया जैसी जगहों पर इसकी मौजूदग़ी काफी प्राकृतिक है और अब यह लगभग सभी जगह नाइट्रोजन से भरपूर मिट्टी में, ख़ाास तौर पर उजाड़ ज़मीनों पर पाई जाती है (संभवतः अंटार्क्टिका में भी)। स्थानीय नाम - लैंब्स क्वॉर्टर्स, मेल्डे, फैट हेन, व्हाइट गूसफुट स्थानीय नाम - बथुआ/बाथू (हिंदी), बथवो (गुजराती), चक्रवर्ती सोपू (कन्नड़), चकवात (मराठी), चक्रवर्ती कीरइ (तमिल), वास्तुकम / पप्पूकुरा (तेलुगू), बेथो शाक / लाल भुटका (बंगाली), बाथू (पंजाबी) -
डटूरा मेटेल
विवरणः डटूरा मेटेल एक झाड़ी जैसी वार्षिक या सदाबहार वनस्पति है, जो भारत जैसे दुनिया के सभी गर्म प्रदेशों के जंगलों में उगती है और इसकी रासायनिक और सजावटी ख़ाूबियों के कारण दुनिया भर में इसकी खेती की जा सकती है। स्थानीय नाम - धतूरा गिडा (कन्नड़), धोत्रा (मराठी), धतूरा (हिंदी), उमत्तन (तमिल), एरी-उम्मिता / तेला-उम्मेथा (तेलुगू) धतूरा (गुजराती), धुतोरा (बंगाली), धतूरा (पंजाबी) -
डाइजेरा आर्वेंसिस
विवरणः डाइजेरा आर्वेंसिस सरल बनावट वाली वनस्पति है, जिसकी शाखाएँ नीचे से ऊपर की ओर बढ़ती हैं, तने और डालियाँ अरोमिल होती हैं और अगर रोयें हों, तो बहुत ही कम होते हैं, जिनमें फीके रंग की उठी हुई धारियाँ होती हैं। पत्तियों की धार सँकरी रेखीय से चौड़ी अंडाकार होती है या बहुत ही कम मामलों में अर्धगोलाकार होती हैं। इसके फूल अरोमिल होते हैं, जिनकी रंगत गुलाबी से गहरे लाल या लाल के साथ सफ़ेद होती है, जो फल बनने पर हरा-सफेद रंग ले लेते हैं। स्थानीय नाम - गोराची पालया (कन्नड़), चेंचलकूरा (तेलुगू), थोय्याकीरइ (तमिल), कुंजारू (मराठी), लहसुआ / कुंजारू (हिंदी), कंजारो (गुजराती), लता महावरिया / लता माहुरी (बंगाली), लहसुआ (पंजाबी) -
यूफोर्बिया जेनिक्युलेटा
विवरणः यूफोर्बिया जेनिक्युलेटा ऊष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय अमेरिका की मूल वनस्पति है, लेकिन अब यह सभी ऊष्णकटिबंधीय प्रदेशों में फैल चुकी है। कई तृणनाशक इसे नियंत्रित नहीं कर पाते, जिसके कारण यह दुनिया के कई हिस्सों में तेज़ी से फैला है। इस पौधे को दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में सजावटी पौधा माना जाता है, जबकि भारत और थाइलैंड में यह खर-पतवार मानी जाती है, जहाँ इसने कपास और कृषि क्षेत्रों में घुसपैठ की है। स्थानीय नाम - हाल गौरी सोपू (कन्नड़), नानाबाला (तेलुगू), बारो कोरनी (बंगाली), कटूरक कल्ली (तमिल), मोठी दुधी (मराठी), दुधेली (पंजाबी), बड़ी दुधेली (हिंदी), मोटी दुधेली (गुजराती) -
यूफोर्बिया हाइपरिसीफोलिया
विवरणः यूफोर्बिया हाइपरीसीफोलिया ऊष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय अमेरिका से उभर कर आया है और ऊष्णकटिबंधीय अफ्रीका और भारत में फैल चुका है। ऊष्णकटिबंधीय अफ्रीका में इसका वितरण स्पष्टनहीं है, क्योंकि अक्सर इसे यूफोर्बिया इंडिका लाम समझ लिया जाता है। यह निश्चित रूप से पश्चिम अफ्रीका, बुरूंडी और मॉरिशस में मौजूद है। स्थानीय नाम - हाल गोडी सोपू (कन्नड़), दुधी (मराठी), दुधेली (गुजराती), चित्रम्मन पचारसी (तमिल), छोटी दुधेली (हिंदी), दुधेली (पंजाबी), मानसासी (बंगाली) -
नैफेलियम परपरियम
विवरणः नैफेलियम परपरियम ज्य़ादा तापमान वाले क्षेत्रों में बहुत ज्य़ादा फैला हुआ और आम है, हालांकि इनमें से कुछ दुनिया के ऊष्णकटिबंधीय पर्वतों पर या उपोष्णकटिबंधीय प्रदेशों में पाये जाते हैं। अमेरिकन पेंटेड लेडी इल्लियों के लिये कडवीड्स महत्वपूर्ण खाद्य स्त्रोत हैं। इस प्रजाति के सत्वों के साथ-साथ इससे प्राप्त यौगिकों में कई औषधीय गुण पाये गये हैं। स्थानीय नाम - उपलब्ध नहीं है -
इपोमिया एक्वेटिका
विवरणः इपोमिया एक्वेटिका का अर्ध-जलीय ऊष्णकटिबंधीय पौधा है, जिसे नर्म डालियों के कारण सब्ज़ी के रूप में जाना जाता है और इसकी उत्पत्ति का मूल क्षेत्र ज्ञात नहीं है। यह सामान्यतः पूर्व, दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में उगाया जाता है। यह जलीय मार्गों में प्राकृतिक रूप से बढ़ता है और इसे बहुत ही कम देखभाल की ज़रूरत होती है। इंडोनेशियन, बर्मीज़, थाइ, लाओ, कम्बोडियाई, मलाय, वियेतनामीज़, फिलिपिनो और चीनी खाने में इसका बड़े पैमाने पर उपयोग होता है, ख़ाास तौर पर ग्रामीण या काम्पुंग क्षेत्रों में। स्थानीय नाम - थान्टिकडा/थूटि कूरा (तेलुगू), बेल (पंजाबी), कलमी (हिंदी), नीची भाजी/खंड कोली (मराठी), नारो/कालादाना (गुजराती), कोलमी शाक (बंगाली)

इपोमिया निल

इपोमिया पेस टाइग्राइडिस

इपोमिया ट्राइलोबा

ल्यूकस ऐस्पेरा

ल्यूकस मार्टिनिसेंसिस

मिट्राकार्पस विलोसस

ऑक्सालिस कॉर्निक्युलेटा

पार्थेनियम हिस्टेरोफोरस

फिलैंथस निरूरी

फाइसैलिस मिनिमा

फिलैंथस मैडेरसपेटेंसिस

पोर्ट्युलाका ओलेरासी

सोलानम नाइग्रम

Trianthema monogyna

ट्रायऐन्थीमा पोर्ट्युलाकैस्ट्रम

ट्राइडैक्स प्रोकम्बेन्स

जैन्थियम स्ट्रुमारियम

साइपेरस रोटंडस

साइपेरस कम्प्रेसस

फिम्ब्रिस्टाइलिस मिलिशिए
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इपोमिया निल
विवरणः इपोमिया निल आज से 1000 वर्ष से भी ज्य़ादा समय पहले औषधीय वनस्पति के रूप में सबसे पहले चीन से जापान लाया गया था। लाये जाने के बाद से बगीचे के कई प्रकार उगाये गये हैं और सजावटी उद्येश्यों से रखे गये हैं। कई जगहों पर इसे सजावटी पौधे के रूप में उगाया जाता है और बगीचे के प्रकार के वंशज अब जंगली प्रजातियों की तरह बढ़ते हैं। यह एक ऊपर चढ़ने वाली वार्षिक वनस्पति है, जिसमें तीन-सिरों वाली पत्तियाँ होती हैं। इसके फूल कई सेंटीमीटर चौड़े होते हैं और नीले, गुलाबी रंग के कई प्रकारों और कई बार सफेद धारियों के साथ दिखाई देते हैं। स्थानीय नाम - सांगुपू (तमिल), निकालामी (मराठी), निकालामी (हिंदी), काला दान बेल (पंजाबी), कोलिविट्टुलू (तेलुगू), नारो/कालादाना (गुजराती), निकोल्मो शाक (बंगाली) -
इपोमिया पेस टाइग्राइडिस
विवरणः इपोमिया पेस टाइग्राइडिस एक रोयेंदार लता और वार्षिक वनस्पति है। यह फैलने वाली या दुगुनी होने वाली वनस्पति है। यह एक घास-रूपी वार्षिक वनस्पति है, जो पूरे भारत में 4000 फुट तक की ऊंचाई पर, तटीय मैदानों से लेकर 750-900 मीटर ऊंचाई पर कृषि-योग्य ज़मीन पर पाये जाते हैं। हृदय के आकार की इसकी पत्तियाँ लंबी होती हैं और पत्ती के किनारे पर 9-19 परलिकाएँ होती हैं। तुरही के आकार के इस फूल में पाँच बिंदु होते हैं। यह लाल, गुलाबी या सफेद हो सकता है और शाम 4 बजे के बाद खुलता है और इसके पुष्पण की अवधि सितंबर और नवंबर के बीच होती है। स्थानीय नाम - चिकुनुवू/मेकामाडुगू (तेलुगू), वाघपदी (मराठी), बेल (हिंदी, पंजाबी), नारो / कालादाना (गुजराती), अंगुली लोटा (बंगाली) -
इपोमिया ट्राइलोबा
विवरणः इपोमिया ट्राइलोबा ऊष्णकटिबंधीय अमेरिका के मूल से आयी है, लेकिन दुनिया के गर्म क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर फैल चुकी है, जहाँ इसे लाया गया है और यह अप्रिय खर-पतवार का रूप ले चुकी है। यह तेज़ी से बढ़ने वाली, लता बनाने वाली वार्षिक वनस्पति है, जिसके तने पतले और लता जैसी डंठल वाली हृदयाकार पत्तियाँ होती हैं। पत्तियों में कई बार तीन परलिकाएँ होती हैं, लेकिन हमेशा नहीं। स्थानीय नाम - इवाली भोवरी (मराठी), बेल (हिंदी, पंजाबी), नारो/कलंदना (गुजराती), घोंटी कोलमी (बंगाली) -
ल्यूकस ऐस्पेरा
विवरणः ल्यूकस ऐस्पेरा ल्यूकस श्रेणी और लैमिसी परिवार के पौधों की एक प्रजाति है। हालांकि उगने के स्थान के अनुसार प्रजातियों के कई सामान्य नाम होते हैं, लेकिन इसे सामान्यतः थुम्बे या थुम्बई के नाम से जाना जाता है। पूरे भारत में पायी जाने वाली इस वनस्पति के औषधि और कृषि विज्ञान में कई उपयोग हैं। स्थानीय नाम - थुम्बी सोपू (कन्नड़), थुम्मी (तेलुगू), थुम्बई (तमिल), तांबा (मराठी), कुबी (गुजराती), स्वाता द्रोन/धुल्फी/दान कलश (बंगाली) -
ल्यूकस मार्टिनिसेंसिस
विवरणः ल्यूकस मार्टिनिसेंसिस एक सीधी खड़ी वार्षिक वनस्पति है। अक्सर इसके अशाखित तने काफी रोयेंदार होते हैं। पत्तियाँ आमने-सामने होती हैं, अंडाकार से लेकर अंडाकार-भाले जैसे आकार के साथ किनारे दाँतेदार होते हैं। छोटे सफेद फूल पूरे तने पर बीच-बीच में गोल जैसे गुच्छों में लगे होते हैं। काँटों जैसी दिखने वाली फूलों की बाहरी पंखुड़ियाँ इसे रोयेंदार रूप देती हैं। स्थानीय नाम - तुंबी सोपू (कन्नड़), पेरूम्तुम्बइ (तमिल), कुबी (गुजराती), श्वेत द्रोन (बंगाली) -
मिट्राकार्पस विलोसस
विवरणः मिट्राकार्पस विलोसस सीधी खड़ी या फैलने वाली वार्षिक वनस्पति है, जो लंबी होती है और जिसके तने अशाखित या कम या ज्य़ादा शाखाओं वाले होते हैं, उपशाखाएँ छोटे, घुंघराले और दबे हुए बालों और फैलने वाले बालों के साथ प्रजनन में सक्षम होती हैं, पुरानी पत्तियों का ऊपरी आवरण अंत में उतर जाता है; कई बार इसके निचले हिस्सा काफ़ी हद तक लकड़ी का होता है। स्थानीय नाम - उपलब्ध नहीं -
ऑक्सालिस कॉर्निक्युलेटा
विवरणः ऑक्सालिस कॉर्निक्युलेटा, यानि कि क पिंग वुडसॉरेल काफी नाज़ुक दिखने वाली, कम बढ़ने वाली, घास-रूपी पौधा है। यह प्रजाति संभवतः दक्षिण-पूर्वी एशिया से आयी है। इसका विवरण सबसे पहले 1753 में लिनियस द्वारा इटली से लिये गये नमूनों की मदद से दिया गया था और माना जाता है कि इटली में यह 1500 से पहले पूर्व से आया है। स्थानीय नाम - अमरूल / खट्टी मीठी घास / चुका (हिंदी), खट्टी बूटी (पंजाबी), उप्पिना सोपू (कन्नड़), पालियाकिरी (तमिल), अमरूलशाक (बंगाली), अमरूल (गुजराती), नूनिया घाश (बंगाली),अम्बूटी (मराठी), पूलीचिंता/अम्बोटीकुरा (तेलुगू) -
पार्थेनियम हिस्टेरोफोरस
विवरणः पार्थेनियम हिस्टेरोफोरस उजाड़ ज़मीन में घुसपैठ करता है, जिसमें सड़क के किनारे शामिल हैं। यह चारागाह और खेतों में पनपता है, जिससे अक्सर पैदावार का भारी नुकसान होता है, इसलिये इसका सामान्य नाम अकाल तृण है। घुसपैठिये के रूप में, यह पहले आयातित गेहूं में प्रदूषक के रूप में उभर कर आया। यह पौधा अलेलोपैथिक (अन्य पौधों के लिये हानिकारक) रसायनों का उत्पादन करता है, जो फसल और चारागाह की अन्य फसलों पर दबाव डालते हैं और साथ ही इसके एलर्जन्स मनुष्यों और पशुओं को भी प्रभावित करते हैं। स्थानीय नाम - कांग्रेस (कन्नड़), वय्यारीभामा (तेलुगू), विषपूदू (तमिल), गाजर गवत (मराठी), गाजोर घास (बंगाली), गाजर घास (हिंदी), कांग्रेस घास (पंजाबी), काँग स घास (गुजराती) -
फिलैंथस निरूरी
विवरणः फिलैंथस निरूरी बहुत ही ज्य़ादा फैला हुआ ऊष्णकटिबंधीय पौधा है, जिसे आम तौर पर तटीय क्षेत्रों में पाया जाता है और गेल ऑफ़ द विंड, स्टोनब कर या सीड-अंडर-लीफ़ के नाम से जाना जाता है। यह स्पर्जेज़ का एक संबंधी है, जो परिवार फिलैंथेसी की फिलैंथस श्रेणी से है। स्थानीय नाम - नेल्ली गिडा (कन्नड़), नेलाउसीरी (तेलुगू), कीलानेल्ली (तमिल), भुइवाली (मराठी), हजारदाना (हिंदी, पंजाबी), भोय अमाली (गुजराती), वुई आम्ला (बंगाली) -
फाइसैलिस मिनिमा
विवरणः फाइसैलिस मिनिमा संपूर्ण ऊष्णकटिबंधीय क्षेत्र में पायी जाने वाली एक वार्षिक वनस्पति है। इसकी पत्तियाँ कोमल और मुलायम होती हैं (रोयेंदार नहीं), जिनमें संपूर्ण दाँतेदार किनारे होते हैं। दूधिया से हल्के पीले फूलों के बाद काग़ज़ी आवरण के भीतर ढँके खाद्य पीले फल आते हैं जो सूख कर भूरे हो जाते हैं और फल पूरी तरह पक जाने के बाद ज़मीन पर गिर जाता है। इस पौधे में खर-पतवार वाले लक्षण होते हैं और इसे अक्सर उजाड़ क्षेत्रों में पनपते देखा जा सकता है। स्थानीय नाम - सात्रा गुपाते गिडा (कन्नड़), बुद्या भुसादा (तेलुगू), कुपंती (तमिल), रान पोपटी (मराठी), चिरपोटा (हिंदी), पोपटी (गुजराती), भम्बोडेन (पंजाबी), ठसका/धुली मौरा (बंगाली) -
फिलैंथस मैडेरसपेटेंसिस
विवरणः फिलैंथस मैडेरसपेटेंसिस एक सीधे से फैलने वाला, अशाखित से बहुत ज्य़ादा डालियों वाला, वार्षिक से सदाबहार पौधा है, जिसके तने कम या ज्य़ादा लकड़ी वाले बन सकते हैं और एक साल से ज्य़ादा टिकते हैं। पौधों को जंगलों से काटर कर उनका इस्तेमाल स्थानीय रूप से दवाओं के रूप में किया जाता है। उन्हें स्थानीय बाज़ार में बेचा जाता है और साथ ही फार्माश्यूटिकल उत्पादों के निर्माण के लिये औद्योगिक स्तर पर भी इनकी बिक्री होती है। स्थानीय नाम - आडु नेल्ली हुल्लू (कन्नड़), नेलाउसिरी (तेलुगू), मेलानेल्ली (तमिल), भुइवाली (मराठी), भोय अमाली (गुजराती), हज़ार मोनी (बंगाली), बड़ा हज़ारदाना / हज़ारमणि (हिंदी), दाने वाली बूटी (पंजाबी) -
पोर्ट्युलाका ओलेरासी
विवरणः पोर्ट्युलाका ओलेरासी, यानि कि पर्सलेन के चिकने, लाल जैसे, ज्य़ादातर नीचे झुके हुए तने होते हैं और पत्तियाँ, जो एकांतर या आमने-सामने हो सकती हैं, तने के जोड़ों और सिरों पर गुच्छों में मौजूद होती हैं। फूल धूब वाली सुबहों में सिर्फ कुछ घंटों के लिये पत्तियों के झुरमुट के बीच अकेले खुलते हैं। इसे सबसे पहले 1672 में युनाइटेड स्टेट्स के मसैचुसेट्स में पाया गया था। स्थानीय नाम - सत्रा गोली सोप्पू (कन्नड), पप्पू कुरा / पिछी मिरापा (तेलुगू), परूप्पू कीरइ (तमिल), घोल (मराठी), छोटी संत (हिंदी), संती (पंजाबी), लूनी (गुजराती), नूनिया शाक (बंगाली) -
सोलानम नाइग्रम
विवरणः सोलानम नाइग्रम, यानि कि ब्लैक नाइटशेड या ब्लैकबेरी नाइटशेड, यूरेशिया के मूल की श्रेणी सोलानम की एक प्रजाति है, जिसे अमेरिका, ऑस्ट्रेलेज़िया और दक्षिण अफ्रीका में पहचाना गया है। कुछ जगहों पर इसके खाद्य प्रकारों की पकी हुए बेरियों और पकी हुई पत्तियों को खाया जाता है और पौधे के हिस्सों को पारंपरिक दवा के रूप में इस्तेमाल में लाया जाता है। ये कई लकड़ी वाले हिस्सों के साथ-साथ उजाड़ क्षेत्रों में भी दिखाई देते हैं। स्थानीय नाम - मकोए/पिलाक/पपोटन (हिंदी), मकोए (पंजाबी), पिछी मिरापा/कंची पोंडा/कसाका (तेलुगू), कंगणी/लघुकावली (मराठी), मनटक्कली (तमिल), करिकाची गिडा (कन्नड़), मकोह (गुजराती), बोन बेगुन/काकमाछी (बंगाली) -
Trianthema monogyna
Description: Members of the genus are annuals or perennials generally characterized by fleshy, opposite, unequal, smooth-margined leaves, a prostrate growth form flowers with five perianth segments subtended by a pair of bracts and a fruit with a winged lid. They are known commonly as horse purslanes. Local Name: Doddagol palya (Kannada), Shavalai / Saranai (Tamil), Khapra / Vishkhapra (Marathi), Satodo (Gujarati), Gadabani (Bengali),Biskhapda / Pattherchata (Hindi, Punjabi) -
ट्रायऐन्थीमा पोर्ट्युलाकैस्ट्रम
विवरणः ट्रायऐन्थीमा पोर्ट्युलाकैस्ट्रम आइस प्लांट परिवार के फूल वाले पौधों की एक प्रजाति है, जिसे डेज़र्ट हॉर्स पर्सलेन, ब्लैक पिगवीड और जायंट पिगवीड जैसे सामान्य नामों से जाना जाता है। यह कई महाद्वीपों में पाया जाता है, जिनमें अफ्रीका और उत्तरी तथा दक्षिणी अमेरिका शामिल हैं और साथ ही यह कई अन्य क्षेत्रों में भी परिचित प्रजातियों के रूप में पाया जाता है। स्थानीय नाम - दोड्डा गोली सोप्पू (कन्नड़), सरनइ (तमिल), सतोडो (गुजराती), नीरूबाइलाकू / अम्बाटीमाडू (तेलुगू), पांढरी घेतुली (मराठी), पुनर्नाबा शाक / श्वेत पुनर्नावा (बंगाली), बिसखपड़ा/पत्थरचाटा (हिंदी, पंजाबी) -
ट्राइडैक्स प्रोकम्बेन्स
विवरणः ट्राइडैक्स प्रोकम्बेन्स गुलबहार परिवार में फूलों वाले पौधों की एक प्रजाति है। इसे बहुत ज्य़ादा फैली हुई खर-पतवार और कीड़ों वाले पौधे के रूप में जाना जाता है। यह ऊष्णकटिबंधीय अमेरिका के मूल प्रांत से है, लेकिन यह दुनिया भर के ऊष्णकटिबंधीय, उपोष्णकटिबंधीय और कम तापमान वाले क्षेत्रों में भी पायी जा चुकी है। इसे युनाइटेड स्टेट्स में एक अप्रिय खर-पतवार के रूप में सूचीबद्ध किया गया है और नौ राज्यों में इसे कीड़ों का दर्जा मिला है। स्थानीय नाम - बिशाल्या करानी / त्रिधारा (बंगाली), कानफुली / बारहमासी (हिंदी), वेट्टुकाया पूंदू (तमिल), एकडंडी (मराठी, गुजराती), वातवटी (कन्नड़) -
जैन्थियम स्ट्रुमारियम
विवरणः ज़ैन्थियम स्ट्रुमारियम सामान्यतः खर-पतवार के रूप में पाया जाने वाला एक औषधीय पौधा है, जो उत्तरी अमेरिका, ब्राज़ील, चीन, मलेशिया और भारत के ग़र्म हिस्सों में काफी विस्तृत है। इस वनस्पति का पारंपरिक रूप से कुछ बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होता है। पूरे पौधे, ख़ाास तौर पर पत्तियों, जड़ों, फलों और बीजों के सत्व का इस्तेमाल पारंपरिक दवा में किया जाता है। स्थानीय नाम - मुरूलू मट्टी (कन्नड़), मरूलामातंगी / गद्यीचमंती (तेलुगू), गदर (गुजराती), मारूल उमट्टई / ओट्टारचेडी (तमिल), गोखरू (मराठी), छोटा गोखरू / छोटा धतूरा (हिंदी), खुट्टा -
साइपेरस रोटंडस
विवरणः साइपेरस रोटंडस एक सदाबहार पौधा है, जो 140 सेमी तक की ऊंचाई हासिल कर सकता है। संबंधित प्रजाति साइपेरस एस्क्युलेंटस के साथ साझा नाम ;नट सेज इसके कंद से प्राप्तहुए हैं, जो काफी हद तक नट्स जैसे लगते हैं, लेकिन वनस्पति विज्ञान की दृष्टि से उनका नट्स से कोई संबंध नहीं है। स्थानीय नाम - जेकू (कन्नड़), भद्र-तुंग-मुस्ते / भद्रमुस्ते / गंदाला (तेलुगू), कोरइ किजंग़ू (तमिल), मोठा/दिल्ला (हिंदी), नगरमोठा / लाव्हाला (मराठी), गांठ वाला मुर्क (पंजाबी), चिढ़ो (गुजराती), व्हादला घास / चाटा बेथी मुथा (बंगाली) -
साइपेरस कम्प्रेसस
विवरणः साइपेरस कम्प्रेसस, जिसे आम तौर पर वार्षिक झाड़ी कहा जाता है, साइपेरेसी परिवार की झाड़ी है, जो ग़र्म तापमान वाले देशों में बड़े पैमाने पर फैली हुई है। यह अफ्रीका, एशिया और अमेरिका के ऊष्णकटिबंधीय प्रदेशों में पायी जाती है। स्थानीय नाम - जेकू (कन्नड़), कोट्टुक्कोरई (तमिल), चिंधो (गुजराती), नगर मोठा/लाव्हाला (मराठी), नगर मोठा (हिंदी), जोल मुथा (बंगाली) -
फिम्ब्रिस्टाइलिस मिलिशिए
विवरणः फिम्ब्रिस्टाइलिस मिलिशिए झाड़ियों की एक प्रजाति है। इस श्रेणी के पौधे को आम तौर पर फिम्ब्री, फिम्ब्रीस्टाइल या फ्रिंज-रश के नाम से जाना जाता है। इसकी शुरूआत संभवतः तटीय ऊष्णकटिबंधीय एशिया से हुई थी, लेकिन तब से अब तक यह परिचित प्रजाति के रूप में अधिकांश महाद्वीपों में फैल चुका है। यह कुछ क्षेत्रों में बहुत ज्य़ादा फैली हुई खर-पतवार है और कई बार धान की फसल के लिये समस्या पैदा करती है। स्थानीय नाम - मणिकोरई (तमिल), लाव्हाला (मराठी), हुई/दिली (हिंदी), गुरिया घास (बंगाली)